Uttarakhand

विश्व पर्यावरण दिवस पर हिमालयी क्षेत्र में पर्यावरण शिक्षा पर परिचर्चा का आयोजन

देहरादून,। विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (यूकोस्ट) द्वारा हिमालयन एकेडमी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी और उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के संयुक्त तत्वावधान से एक दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का विषय रहा “हिमालयो नाम नागधिराज मानवता के भविष्य हेतु हिमालय ज्ञान और पर्यावरण को समर्पण।” यह आयोजन विज्ञान धाम, झाझरा स्थित आंचलिक विज्ञान केंद्र में संपन्न हुआ।
कार्यक्रम की शुरुआत में डॉ. रीमा पंत ने प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए दिन भर की रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि पर्यावरण शिक्षा एक जीवन कौशल है, और टिकाऊ जीवन शैली के लिए व्यक्तिगत स्तर पर जिम्मेदारी जैसे प्लास्टिक उपयोग में कमी बेहद आवश्यक है। प्रो दुर्गेश पंत, महानिदेशक, यूकॉस्ट ने कहा कि हमें प्लास्टिक के उपयोग से बचना चाहिए। उन्होंने परिषद द्वारा संचालित पर्यावरण संरक्षण गतिविधियों जैसे “मा धरा को नमन” और “टोंस नदी पुनर्जीवन कार्यक्रम” का भी उल्लेख किया।
एचएएसटी के अध्यक्ष डॉ. जी.एस. रावत ने हिमालयी क्षेत्र में पर्यावरण शिक्षा के लिए युवाओं को सक्रिय रूप से शामिल करने पर बल दिया। इस अवसर पर आयोजित पैनल चर्चा में प्रो. जी.एस. राजवार, प्रो. आर.सी. शर्मा, प्रो. रीमा पंत, प्रो. आनंद शर्मा और दून विश्वविद्यालय के डॉ. सुनीत नैथानी जैसे पर्यावरणविदों ने भाग लिया। चर्चा में वैज्ञानिक, सांस्कृतिक और जमीनी स्तर की समझ के माध्यम से पर्यावरणीय साक्षरता को बढ़ावा देने की रणनीतियों पर विचार किया गया। भारतीय मौसम विज्ञान सोसायटी के अध्यक्ष प्रो. आनंद शर्मा ने पर्यावरणीय कारकों की आपसी संबद्धता को समझने के समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। वहीं डॉ. सुनीत नैथानी ने पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों को पर्यावरणीय चेतना के निर्माण में महत्वपूर्ण बताया। कार्यक्रम में यूकोस्ट के संयुक्त निदेशक डॉ. डी.पी. उनियाल ने पर्यावरण शिक्षा के परिप्रेक्ष्य में विज्ञान संचार और बौद्धिक संपदा अधिकारों के महत्व पर प्रकाश डाला। मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित उत्तराखंड राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना ने ैज्म्ड शिक्षा को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल देते हुए स्कूली स्तर से ही पर्यावरणीय जिम्मेदारी विकसित करने हेतु ई-वेस्ट संग्रह अभियान प्रारंभ करने का सुझाव दिया। राज्य मंत्री एवं जलागम के उपाध्यक्ष शंकर कोरंकर ने भी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि पर्यावरणीय चेतना और कचरा प्रबंधन आज की सबसे बड़ी प्राथमिकताएं हैं। इस अवसर पर छात्रों के लिए प्रतियोगिताएं एवं विचार प्रस्तुति गतिविधियाँ भी आयोजित की गईं, जिनका उद्देश्य नवाचार और आलोचनात्मक सोच को प्रोत्साहित करना था। कार्यक्रम के अंतर्गत एक विशेष ब्रेनस्टॉर्मिंग सत्र भी आयोजित हुआ, जिसमें आने वाली पीढ़ियों के लिए पर्यावरण संरक्षण की रणनीतियों पर चर्चा हुई। इस पूरे कार्यक्रम का सफल संयोजन युकोस्ट के वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी डॉ. पीयूष जोशी एवं वैज्ञानिक अधिकारी जागृति उनियाल द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम में विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों के 200 से अधिक छात्र-छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button