Uttarakhand

भगवान भास्कर आप सभी को ज्ञान, सुख, सफलता एवं प्रसिद्धि प्रदान करें : जनसेवी अजय सोनकर

देहरादून। वरिष्ठ भाजपा नेता, प्रसिद्ध जनसेवी एवं वार्ड संख्या 18 इंदिरा कॉलोनी, चुक्खुवाला के पूर्व नगर निगम पार्षद अजय सोनकर ऊर्फ घोंचू भाई ने रथ सप्तमी एवं सूर्य जयंती के पावन अवसर पर समस्त देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं दी हैं।

इस अवसर पर जारी अपने संदेश में जनसेवी अजय सोनकर ने कहा- आप सभी को सूर्य उपासना के पावन पर्व रथ सप्तमी एवं सूर्य जयंती के पावन अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं। भगवान सूर्य की जयंती एवं रथ सप्तमी के पावन अवसर पर भगवान भास्कर आप सभी को ज्ञान, सुख, सफलता एवं प्रसिद्धि प्रदान करें, यही कामना है।

पूर्व पार्षद अजय सोनकर ने सूर्य जयंती का जिक्र करते हुए कहा कि रथ सप्तमी या माघ सप्तमी एक हिंदू त्योहार है जो हिंदू महीने माघ के सातवें दिन को पड़ता है। यह प्रतीकात्मक रूप से सूर्य देवता के रूप में उनके रथ को सात घोड़ों द्वारा उत्तरी गोलार्ध की ओर, उत्तर-पूर्वी दिशा में घुमाते हुए दर्शाया जाता है। यह सूर्य के जन्म का भी प्रतीक है और इसलिए सूर्य-जयंती के रूप में मनाया जाता है।

उन्होंने कहा कि सूर्य की उपासना के पर्व रथ सप्तमी को हर साल हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। इस साल 28 जनवरी 2023 को रथ सप्तमी मनाई जा रही है। रथ सप्तमी को माघ सप्तमी माघ जयंती सूर्य जयंती आरोग्य सप्तमी और अचला सप्तमी जैसे कई नामों से जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन सूर्य देव को अर्घ्य देने और उनकी उपासना करने से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का आगमन होता है। इसके साथ ही उत्तम आरोग्य का वरदान भक्तों को मिलता है।

उन्होंने कहा ऐसी मान्यता है कि इसी पावन तिथि पर सूर्य देव का प्रादुर्भाव हुआ था और वो एकमात्र ऐसे देवता हैं जो साक्षात भक्तों को दर्शन देते हैं, इसलिए कहा जाता है कि इस दिन सूर्योपासना और सूर्य चालीसा का पाठ करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। रथ सप्तमी यानी अचला सप्तमी के दिन व्रत रखकर उनकी पूजा करने से उत्तम आरोग्य के साथ-साथ निसंतान दंपतियों को संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है। इस पर्व का हिंदू धर्म में विशेष महत्व बताया जाता है, इसलिए लोग एक-दूसरे को बधाई देते हैं।

उन्होंने कहा कि रथ सप्तमी से जुड़ी प्रचलित मान्यता के अनुसार, इसी दिन सूर्य देव के सातों घोड़े उनके रथ का वहन करना शुरु करते हैं, इसलिए इसका महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है। इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र नदी में स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। अर्घ्य देते समय जल में लाल रोली, लाल फूल और गुड़ का उपयोग किया जाता है, फिर दीपदान करने का विधान है।

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