प्रीतम सिंह के शक्ति प्रदर्शन के बहाने कांग्रेस में खींचतान तेज, पढ़िए पूरी खबर
देहरादून। उत्तराखंड में कांग्रेस के भीतर एक बार फिर खींचतान तेज होने के संकेत हैं। पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह के 21 अक्टूबर को सचिवालय कूच के आह्वान में प्रदेश संगठन को भरोसे में नहीं लेने से पार्टी के वरिष्ठ नेता इस कार्यक्रम से दूरी बनाने की तैयारी कर चुके हैं। वहीं विधानसभा सत्र से ठीक पहले प्रीतम के इस शक्ति प्रदर्शन में नजरें विधायकों पर टिक गई हैं। प्रीतम के साथ विधायक जुटे तो आने वाले समय में पार्टी के भीतर ध्रुवीकरण की राजनीति नए सिरे से आकार लेती दिखाई पड़ सकती है।
प्रदेश की प्रमुख प्रतिपक्षी दल कांग्रेस के भीतर रस्साकशी नई बात नहीं है। पार्टी के भीतर प्रभुत्व को लेकर वरिष्ठ नेता जोर-आजमाइश के हथियार का उपयोग करने में पीछे नहीं रहते। इस बार पूर्व नेता प्रतिपक्ष और चकराता से छह बार के विधायक प्रीतम सिंह तीखे तेवर अपनाते हुए संगठन और पार्टी के अन्य क्षत्रपों से अलग राह पर चलने का मन बना चुके हैं। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव से लगभग आठ महीने पहले प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर प्रीतम को नेता प्रतिपक्ष बनाया गया था। उस दौरान भी प्रीतम इस बदलाव से खुश नजर नहीं आए थे।
बीते मार्च माह में पांचवीं विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को लगातार दूसरी बार हार मिलने के बाद जहां गणेश गोदियाल को प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी गंवानी पड़ी, वहीं प्रीतम सिंह को नेता प्रतिपक्ष पद से हटा दिया गया। प्रीतम सिंह को यह इतना नागवार गुजरा कि उन्होंने प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव के साथ ही पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री संगठन केसी वेणुगोपाल के विरुद्ध मोर्चा खोलने में देर नहीं लगाई। विधानसभा चुनाव में मात्र 19 सीट हासिल कर पाई कांग्रेस में प्रदेश संगठन में हुए परिवर्तन के बाद से असंतोष सुलग रहा है।
कुल 19 में से विधायकों का एक गुट प्रदेश में हुए बदलाव को लेकर अब तक सहज नहीं हो पाई है। पार्टी के भीतर क्षेत्रीय असंतुलन का मुद्दा अब तक गर्म है। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार कर उत्तराखंड वापस लौटे प्रीतम सिंह ने 21 नवंबर को अपने स्तर पर भाजपा सरकार के खिलाफ सचिवालय कूच का कार्यक्रम तय कर दिया। इस कार्यक्रम में सम्मिलित होने के लिए पूर्व नेता प्रतिपक्ष पार्टी के सभी विधायकों और नेताओं से संपर्क साध चुके हैं। यह बात अलग है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा से उनकी इस संबंध में अब तक बातचीत नहीं हुई। इससे नाराज माहरा प्रीतम के कार्यक्रम से प्रदेश संगठन के दूरी बनाने के संकेत दे चुके हैं।
वहीं पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत 21 नवंबर को अपना कार्यक्रम हरिद्वार जिले में तय कर चुके हैं। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य के उत्तराखंड से बाहर रहने का कार्यक्रम सामने आया है। 29 नवंबर से विधानसभा का सत्र भी शुरू होना है। ऐसे में प्रीतम सिंह के कार्यक्रम से पार्टी के भीतर हलचल तेज है। विधायकों ने इस कार्यक्रम में शिरकत की तो पार्टी के भीतर ध्रुवीकरण की नई राजनीति तेज होती दिखाई दे सकती है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा बीते दो दिनों से दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। वह शनिवार को अपने गृह क्षेत्र रानीखेत लौट सकते हैं। दिल्ली में उन्होंने प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव और राष्ट्रीय महामंत्री केसी वेणुगोपाल समेत कई केंद्रीय नेताओं से मुलाकात की। उनकी नए राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात नहीं हो पाई। खडग़े गुजरात दौरे पर बताए जा रहे हैं।
वहीं नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य शुक्रवार को महाराष्ट्र के पाटुर से बालापुर अकोला जिले में पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ भारत जोड़ो यात्रा में सम्मिलित हुए। उन्होंने राहुल गांधी को उत्तराखंड की टोपी पहनाई और स्मृति चिह्न के रूप में केदारनाथ मंदिर की प्रतिकृति सौंपी।