प्रार्थना है आत्मा का दिव्य आहारः भारती
देहरादून,। सद्गुरुदेव आशुतोष महाराज की असीम अनुकम्पा एवं दिव्य प्रेरणा से, दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान, देहरादून आश्रम सभागार में इस सप्ताह भी रविवारीय साप्ताहिक सत्संग प्रवचनों एवं मधुर भजन-कीर्तन का भव्य आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का शुभारम्भ सरस भजनों की प्रस्तुति से हुआ। मंच संचालन करते हुए साध्वी विदुषी जाह्नवी भारती ने प्रस्तुत भजनों की विस्तृत व्याख्या की। उन्होंने अपने प्रवचन में श्री हनुमान जी और विभीषण जी के प्रसंग का उल्लेख करते हुए कहा कि जब संत वचनों में प्रभु की चर्चा होती है, तो भक्त का हृदय ईश्वर के सान्निध्य की ओर आकृष्ट हो जाता है। संत-महापुरुष करुणा के सागर होते हैं, जो जीवों के परम कल्याण के लिए ही अवतरित होते हैं और उन्हें ब्रह्मज्ञान प्रदान कर ईश्वर से जोड़ते हैं। इसी से मानव जीवन का परम उद्देश्य पूर्ण होता है।
इसके पश्चात साध्वी विदुषी अनीता भारती ने अपने प्रवचनों में कहा कि संतों की प्रार्थना का आधार यही होता है कि मनुष्य का जीवन निरोगी, सुखमय, ईश्वरमय और आनंदपूर्ण बने। उन्होंने बताया कि जैसे शरीर के संचालन के लिए अन्न आवश्यक है, वैसे ही आत्मा के संचालन के लिए ईश्वर की भक्ति, वंदना, आरती और प्रार्थना आत्मिक आहार हैं। सद्गुरुदेव समझाते हैं कि सच्ची प्रार्थना भक्त और भगवान के बीच आत्मीय संवाद है, और जब यह प्रार्थना निस्वार्थ भाव से सबके मंगल हेतु की जाती है तो ईश्वर अवश्य सुनते हैं।
साध्वी जी ने आगे कहा कि मनुष्य को हमेशा परम समर्थ ईश्वर से ही याचना करनी चाहिए। जिसने ईश्वरीय प्रेम पा लिया, उसके लिए तीनों लोकों की सम्पदा भी गौण हो जाती है। किन्तु जो अज्ञानता के अंधकार में उलझा रहता है, वह अपना अनमोल मानव जीवन व्यर्थ गंवा देता है। वास्तव में ईश्वर-प्राप्ति प्रत्येक मानव का जन्मसिद्ध अधिकार है और पूर्ण गुरु ही इस अधिकार की पूर्ति कर मनुष्य के जीवन को पूर्णता प्रदान करते हैं।
सत्संग प्रवचनों और मधुर भजनों की गूंज से सभागार भक्तिमय बना रहा। अंत में प्रसाद वितरण के साथ साप्ताहिक कार्यक्रम का समापन किया गया।



