मानसून में भारत के वाटर प्यूरीफायर बाजार में 32 प्रतिशत की वृद्धि
देहरादून,। मानसून में ज्यादा से ज्यादा लोग पीने के पानी और स्वास्थ्य की सुरक्षा पर ज़ोर दे रहे है, जिसकी बदौलत भारत के वाटर प्यूरीफायर बाज़ार में अभूतपूर्व वृद्धि देखी जा रही है। क्रोमा में मांग के पैटर्न भी दर्शाते हैं कि, भारत भर के घरों में वाटर प्यूरीफायर पर सबसे ज़्यादा ध्यान दे रहे हैं, वाटर प्यूरीफायर की साल भर की खरीदारी में से लगभग 35 प्रतिशत खरीदारी मानसून के दौरान होती है। इस वर्ष की पहली तिमाही में वाटर प्यूरीफायर की मांग में दो अंकों की मज़बूत वृद्धि देखी गई। बरसात के मौसम में हैजा, टाइफाइड और हेपेटाइटिस ए जैसी दूषित पानी के कारण होने वाली बिमारियों के बारे में बढ़ती जागरूकता इसका कारण है।
क्रोमा ने अपने उपभोक्ताओं के व्यवहार का अध्ययन किया और उनके निष्कर्ष के अनुसार, पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में अप्रैल-जून 2025 तिमाही में उनकी बिक्री में 11 प्रतिशत की प्रभावशाली वृद्धि और 12 प्रतिशत की मूल्य वृद्धि देखी गई है। मासिक आंकड़ें लगातार तेज़ी दिखा रहे हैंः अप्रैल में बिक्री में 8 प्रतिशत की वृद्धि हुई और मूल्य में 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई, मई में बिक्री में 12 प्रतिशत की वृद्धि हुई और मूल्य में 14 प्रतिशत की वृद्धि हुई, और जून में बिक्री में 13 प्रतिशत की वृद्धि हुई और मूल्य में भी 13 प्रतिशत की वृद्धि हुई। क्षेत्रों की बात करें तो, महाराष्ट्र क्रोमा का सबसे बड़ा बाज़ार बना हुआ है, देशभर में वाटर प्यूरीफायर की बिक्री में महाराष्ट्र की हिस्सेदारी 25 प्रतिशत है, इसके बाद कर्नाटक 15 प्रतिशत, गुजरात 12 प्रतिशत के साथ दूसरे स्थान पर और तेलंगाना 8 प्रतिशत पर है, जबकि उत्तर प्रदेश और दिल्ली का हर कंपनी के प्यूरीफायर की बिक्री में 6 प्रतिशत का योगदान है।



