Uttarakhand

उत्तराखंड में छात्र-छात्राओं के लिए आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण अनिवार्य हो

देहरादून,। यूथ रेडक्रास सोसायटी के मास्टर ट्रेनर आपदा प्रबंधन डॉ० अनिल वर्मा ने कहा कि उत्तराखंड आपदाओं के प्रति बेहद संवेदनशील है। जहां बादल फटने के कारण त्वरित बाढ़ से आजकल अनेक जगह भयंकर तबाही का मंजर दिखाई दे रहा है वहीं उत्तराखंड में 08 रिक्टर स्केल का खतरनाक भूकंप किसी भी क्षण आ सकता है, जिससे बड़ी तबाही की आशंका है। भूकंप की न तो भविष्यवाणी की जा सकती है, न ही उसे रोका जा सकता है परन्तु पूर्व तैयारी, प्रशिक्षण और जागरूकता से जान-माल की हानि को सीमित किया जा सकता है। अतः प्राकृतिक आपदाएं हों अथवा शत्रु देश से युद्धकालीन स्थिति, दोनों से निबटने में प्रशासन की मदद हेतु स्कूल-कालेज-यूनिवर्सिटी के युवा छात्र-छात्राओं को दुर्घटनास्थल से  घायलों को सुरक्षित निकालकर ले जाने के बचाव के आपातकालीन तरीकों तथा प्राथमिक चिकित्सा आदि का विधिवत् प्रशिक्षण देकर तैयार रखने से अनेक जानें बचाई जा सकती हैं।
उक्त विचार डा० वर्मा ने नागरिक सुरक्षा संगठन के उपनियंत्रक एस० के० साहू के निर्देशन तथा सिविल डिफेंस की पोस्ट संख्या -3  के  पोस्ट वार्डन विपिन चाचरा के संयोजन में  गुरूकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, कन्या गुरुकुल परिसर, सेवक आश्रम रोड में 150 छात्राओं , फैकल्टी, प्रशासनिक अधिकारियों तथा सिविल डिफेंस वार्डनों के लिए चार दिवसीय विशेष प्रशिक्षण शिविर में यूथ रेडक्रास सोसायटी द्वारा आयोजित आपदा प्रबंधन , फर्स्ट एड तथा जागरूकता शिविर के उद्घाटन अवसर पर बतौर मुख्य प्रशिक्षक व्यक्त किए। शिविर निदेशक सिविल डिफेंस के डिप्टी कन्ट्रोलर एस के साहू ने कहा कि आपदा नियंत्रण का मुख्य दायित्व सरकारी होने के बावजूद इसके कुशल नियंत्रण हेतु शासन की मशीनरी के साथ ही शिक्षित एवं प्रशिक्षित युवाओं की भूमिका बहुत कारगर साबित होगी। उन्होंने डॉ० अनिल वर्मा द्वारा प्रदान किये गये प्रशिक्षण की विशेष सराहना करते हुए उनका आभार व्यक्त किया।
कैम्प को-आर्डिनेटर प्रोफेसर (डॉ०) हेमनघ् पाठक ने बताया कि यूथ रेडक्रास के दो दिवसीय प्रशिक्षण में डॉ० वर्मा ने भूकंप, भूस्खलन, बादल फटना, त्वरित बाढ,बिजली गिरना आदि  की महत्वपूर्ण जानकारियां दीं। सर्च एंड रेस्क्यू में इमरजेंसी मेथड्स ऑफ रेस्क्यू के फ्री हैंड्स में  टो-ड्रैग, मंकी क्राल , टू-थ्री-फोर हैंडेड सीट, फायरमेंस लिफ्ट, फोर एंड आफ्ट मेथड आदि तथा रोप रेस्क्यू के चेयरनाट,
ड्रा-हिच, बो-लाईन ड्रैग आदि तथा प्राथमिक चिकित्सा में हार्ट अटैक के दौरान मृतप्राय व्यक्ति को पुनर्जीवित करने के उपाय “सीपीआर“ का प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया।
कार्यक्रम सह-समन्वयक डॉ० अर्चना डिमरी ने बताया कि विशेष जागरूकता अभियान के तहत् डॉ० वर्मा द्वारा नशामुक्ति, एड्स, टी०बी०,डॉग बाईट, स्नेक बाईट,एड्स नियंत्रण, रक्तदान-नेत्रदान-देहदान , ईट राईट इंडिया, एनीमिया, रक्तरोग थैलीसीमिया, डेंगू तथा सड़क सुरक्षा आदि विषयों पर भी व्याख्यान दिये गये। शिविर संयोजक पोस्ट संख्या -03 उत्तर प्रभाग के पोस्ट वार्डन विपिन चाचरा के नेतृत्व में छात्राओं अनीषा पंत, शिवानी राणा, प्रेरणा सिंह, प्रतीक्षा, हर्षिता,पलक, कुमकुम, शिल्पी, साम्भवी, गौरवी, रोशनी तथा सिविल डिफेंस वार्डनों महेश गुप्ता,  मेहराज मोहन, सुमन सिंह, नीलम वर्मा, सुनीता भट्ट, शिव सिंह,मनोज कुमार, कमल शर्मा ने इमरजेंसी मेथड्स ऑफ रेस्क्य ,रोप रेस्क्यू तथा सीपीआर का कुशल प्रदर्शन किया। शिविर  संचालन में प्रोफेसर (डॉ०) हेमन पाठक, डॉ० निपुर, डॉ० हेमलता अय्यर, डॉ० रेनू शुक्ला, डॉ० नीना गुप्ता, डॉ० अर्चना डिमरी ने विशेष सहयोग दिया। कार्यक्रम का कुशलघ्घ् संचालन प्रोफेसर (डॉ०) अर्चना डिमरी तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर(डॉ०) रेनू शुक्ला ने किया।

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