हिंदू परिषद केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक के समापन सत्र में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी भाग लेंगे
हरिद्वार: समलैंगिक विवाह, लिव इन रिलेशनशिप कुटुंब प्रबोधन राष्ट्र की अखंडता सांप्रदायिक एकता आदि विषयों पर विश्व हिंदू परिषद की केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक में दूसरे दिन चर्चा में आए विषयों पर प्रस्ताव पारित किए जाएंगे। बैठक में बड़ी संख्या में संत महात्मा इन विषयों पर विमर्श कर रहे हैं। बैठक में देश के विभिन्न हिस्सों में बड़े पैमाने पर हो रहे धर्मांतरण को लेकर चिंता व्यक्त की गई है, साथ ही इन पर रोक लगाने के उपायों पर भी विमर्श हुआ है। विश्व हिंदू परिषद केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक के समापन सत्र में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी भाग लेंगे।
विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने बताया कि बैठक के अंतिम दिन अंतिम सत्र में चर्चा में आए हुए विषयों पर प्रस्ताव पारित किए जाएंगे, जिन्हें उनकी उपयोगिता अनुसार केंद्रों को विभिन्न राज्य सरकारों को अमल के आगरा के साथ प्रस्तुत किया जाएगा।
समलैंगिक विवाह, लिव-इन-रिलेशनशिप सनातनी संस्कृति पर हमला
गुरुवार को विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक (उपवेशन) में संतों ने समलैंगिक विवाह और लिव-इन-रिलेशनशिप पर कड़ा प्रहार व्यक्त करते हुए इसे सनातन सभ्यता एवं संस्कृति पर हमला बताया। कहा कि भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति और वैवाहिक संस्कार परंपरा के अनुसार यह कभी विमर्श का विषय नहीं हो सकते, इसलिए सुप्रीम कोर्ट को इस पर विचार करना बंद कर देना चाहिए।
संतों ने वक्फ कानून में संशोधन की मांग भी उठाई। बैठक में 350 संत, 70 साध्वी धर्माचार्य और बड़ी संख्या संत-महंत व विहिप पदाधिकारी शामिल हुए। गुरुवार से हरिद्वार में शुरू हुई दो दिवसीय बैठक के प्रथम सत्र की अध्यक्षता करते हुए जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने कहा कि समलैंगिक विवाह और लिव-इन-रिलेशनशिप भारतीय विवाह परंपरा एवं विवाह संस्था की मान्यताओं के विपरीत हैं। सनातन सभ्यता एवं संस्कृति पर इस तरह के हमले स्वीकार नहीं हो सकते। कहा कि यह एक साजिश है, इसलिए ऐसे प्रसंगों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगनी चाहिए। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती ने समलैंगिक विवाह पर पुनर्विचार की आवश्यकता बताई।
अन्य धर्माचार्यों ने एक स्वर में अधिग्रहीत मंदिरों पर से सरकारी नियंत्रण समाप्त करने की मांग की। उन्होंने आरोप लगाया कि अधिग्रहण के दम पर मंदिरों को मिलने वाले दान में हिस्सेदारी कर सरकार उसका उपयोग गैर हिंदुओं के हित में करती है। जबकि मठ-मंदिरों को दान में मिले धन पर सिर्फ हिंदू समाज का अधिकार है। द्वितीय सत्र की अध्यक्षता जगदगुरु स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने की। सत्र में मुख्य रूप से समान नागरिक संहिता, वक्फ कानून में संशोधन, लैंड जिहाद और जनसांख्यिकी बदलाव पर चर्चा हुई।
संतों ने कहा कि वक्फ कानून मामले में सरकार की नीति और कानून भेदभावपूर्ण हैं। सनातनियों को तो अपनी हर बात कोर्ट में प्रमाणित करनी पड़ती है, जबकि अन्य धर्मों, विशेषकर वक्फ संपत्तियों के मामले में ऐसा नहीं है। यही नहीं, इसाई मामले में भी इसी तरह की व्यवस्था है। संतों का कहना था कि देश के भीतर और बाहर भारतीय संस्कृति एवं संस्कारों को विदेशी षडयंत्र पर आधारित विमर्श के जरिये से तोड़ने का साजिश हो रही है। यह देश की संप्रभुता के लिए खतरा है, लिहाजा इसका विरोध किया जाना जरूरी है।
जनसांख्यिकी बदलाव पर चिंता जताते हुए संतों ने राष्ट्रीय स्तर पर कानून बनाने की मांग की। साथ ही इसे लेकर उत्तराखंड सरकार के कदम की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को साधुवाद दिया। तृतीय सत्र में प्रथम व द्वितीय सत्र के दौरान चर्चा में आए विषयों पर विमर्श हुआ। संचालन विहिप के केंद्रीय मंत्री अशोक तिवारी ने किया। इससे पहले बैठक का उद्घाटन जगदगुरु स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती, जूना पीठाधीश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि, निर्वाण पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विशोकानंद भारती, गीता मनीषी महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञानानंद, रामानंदाचार्य स्वामी रामराजेश्वराचार्य, श्रीनाथ संप्रदायचार्य स्वामी जितेंद्रनाथ, महानिर्वाणी महामंडलेश्वर स्वामी विश्वेश्वरानंद, श्रीमहंत दुर्गादास बड़ा अखाड़ा, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (महानिर्वाणी) के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी, विहिप के संरक्षक दिनेश चंद्र, केंद्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार, केंद्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे, श्रीराम मंदिर तीर्थ क्षेत्र न्यास अयोध्या के महामंत्री चंपत राय ने दीप प्रज्वलित कर किया।
जनमानस के बीच समय बिताए संत
समाज राष्ट्रीय एकता एवं अखंडता, हिंदू जनमानस के उद्भव और सनातन के प्रचार-प्रसार के दृष्टिकोण से विहिप केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक में संतों का आह्वान किया गया कि वह मठ-मंदिरों के निकलकर गांव-घर पहुंचें और जनमानस के बीच समय व्यतीत करें। उससे धर्म-अध्यात्म पर विमर्श करें और सनातन की विशेषताओं व विश्व स्तर पर हो रहे उनके अनुसरण की जानकारी दें।
इन्होंने रखे बैठक में विचार
अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती, गोसंवर्धन आयोग मध्य प्रदेश के अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि, महामंडलेश्वर यतींद्रानंद गिरि, श्रीमहंत कमलनयन दास (अयोध्या), साध्वी शक्ति परिषद की केंद्रीय महामंत्री महामंडलेश्वर स्वामी विभानंद गिरि, जगदगुरु दादूपंथाचार्य स्वामी अर्जुनदास, पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के महामंडलेश्वर अभयानंद सरस्वती, अखिल भारतीय संत समिति दिल्ली प्रांत के अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी नवल किशोर दास, महामंडलेश्वर स्वामी सर्वेश्वरदास, स्वामी निजानंद सरस्वती (सौराष्ट्र), डा. जनार्दन मेटे, स्वामी परशुराम गिरि महाराज (गुजरात), श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद, भारत माता मंदिर के प्रबंधक स्वामी ललितानंद, अवधूत मंडल के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश, दक्षिण कर्नाटक से मदार चेनय्या स्वामी, पटना साहिब के जत्थेदार ज्ञानी इकबाल सिंह, बौद्ध संत राहुल बौद्ध (महाराष्ट्र) आदि।
बैठक में रहे मौजूद
विहिप केंद्रीय संगठन महामंत्री विनायकराव देशपांडे, केंद्रीय संयुक्त महामंत्री कोटेश्वर राव, केंद्रीय उपाध्यक्ष जीवेश्वर मिश्र, केंद्रीय मंत्री राजेंद्र सिंह पंकज, प्रांत अध्यक्ष उत्तराखंड रविदेव आनंद, क्षेत्र संगठन मंत्री सोहन सिंह सोलंकी, प्रांत संगठन मंत्री उत्तराखंड अजय कुमार, प्रांत उपाध्यक्ष प्रदीप मिश्र, प्रांत उपाध्यक्ष संध्या कौशिक, प्रांत संयोजिक दुर्गा वाहिनी नीलम त्रिपाठी, नीता कपूर, प्रांत संयोजक बजरंग दल अनुज वालिया, विभाग अध्यक्ष बलराम कपूर, गंगा सभा हरिद्वार के अध्यक्ष नितिन गौतम, कमल उलियान, अनिल भारती, नवीन तेश्वर, भूपेंद्र सैनी, जिला उपाध्यक्ष प्रभाकर कश्यप, मयंक चौहान, अमित मुल्तानिया आदि।