साढ़े तीन दशक पुरानी सड़क की मांग को लेकर ग्रामीणों की भूख हड़ताल

रुद्रप्रयाग,। जिले के पूर्वी और पश्चिमी बांगर क्षेत्र में सड़क की मांग को लेकर ग्रामीणों का सब्र का बांध टूट चुका है। बधाणी ताल से भुनाल गांव भेडारू तक प्रस्तावित 9 किलोमीटर मोटर मार्ग को लेकर क्षेत्र के ग्रामीणों ने लोक निर्माण विभाग कार्यालय में अनिश्चितकालीन आमरण अनशन शुरू कर दिया है। बीते तीन नवंबर से शुरू हुई भूख हड़ताल में तीन बुजुर्ग ग्रामीण बैठे हुए हैं। एक तरफ जहां राज्य स्थापना की 25वीं वर्षगांठ को धूमधाम से मनाने को लेकर कर्मचारी-अधिकारियों का काफिला रात-दिन सड़कों में दिखाई दे रहा है, वहीं रुद्रप्रयाग विधानसभा की बांगर पट्टी के ग्रामीण मात्र 9 किमी सड़क के लिए 35 सालों से संघर्ष कर रहे हैं। राज्य निर्माण के एक दशक पहले से ग्रामीण सड़क को लेकर आंदोलन शुरू कर चुके थे, मगर दुर्भाग्य कि साढ़े तीन दशक बीत जाने के बाद भी उनकी मांग को पूरा नहीं किया गया है, जिससे क्षेत्र में आज भी प्रसूति महिला और बीमार ग्रामीणों को सड़क के अभाव में पालकी से ढोना पड़ता है।
जखोली ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले पूर्वी और पश्चिमी बांगर क्षेत्र पहाड़ी भूगोल की मार झेल रहा है। वर्तमान में इन दोनों क्षेत्रों के बीच यात्रा के लिए ग्रामीणों को मयाली-पांजणा-बसुकेदार-छेनागाड़ या मयाली-तिलवाड़ा-अगस्त्यमुनि-गुप्
बधाणी छेनागाड़ मोटरमार्ग निर्माण संघर्ष समिति के बैनर तले यह आंदोलन चल रहा है, जो ग्रामीणों की हताशा का प्रतीक है। समिति के अध्यक्ष शिव लाल आर्य ने बताया कि सड़क की मांग को लेकर वर्ष 1991 से आंदोलन शुरू हुआ था, जो वर्ष 2025 में भी जारी है। हर बार आंदोलन करने पर प्रशासन ने आश्वासन दिए, लेकिन काम की शुरुआत तक नहीं हुई। पूर्वी-पश्चिमी बांगर के लोग ठगे गए हैं, लेकिन अब ग्रामीण पीछे नहीं हटेंगे।
अगर शासन ने मांग नहीं मानी, तो आत्मदाह तक का रास्ता अपनाने को तैयार हैं। अन्य आंदोलनकारियों ने भी सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा कि ग्रामीण सड़क के अभाव में दर-दर भटक रहे हैं। युवा रोजगार के लिए पलायन को मजबूर हैं, और स्वास्थ्य-शिक्षा जैसी सेवाएं गंदी राजनीति की भेंट चढ़ रही हैं। आमरण अनशन पर संघर्ष समिति के अध्यक्ष शिव लाल आर्य, केदार सिंह रावत एवं गैणू लाल बैठे हैं। धरना स्थल पर ज्येष्ठ प्रमुख नवीन सेमवाल, चिंरजीवी सेमवाल, आलोक नेगी, विजय बैरवाण, प्रधान बक्सीर गीता देवी, मुकेश बैरवाण, योगंबर बैरवाण, सौरभ भट्ट, मुकेश बैरवाण, सौरभ भट्ट, सुरेंद्र नेगी, चंद्र प्रताप, रविंद्र सिंह, राजबर बैरवाण, सज्जन सिंह आदि लोग मौजूद थे।
अनशन स्थल पर पहुंचे लोनिवि के सहायक अभियंता संजय सैनी को ग्रामीणों के आक्रोश का सामना करना पड़ा। ग्रामीण अड़िग रहे कि उच्च अधिकारियों को मौके पर आकर ग्रामीणों की समस्याओं को सुनना चाहिए, लेकिन किसी भी अधिकारी के मौके पर नहीं पहुंचने से ग्रामीण खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। इस दौरान सहायक अभियंता के सड़क निर्माण को लेकर प्रभागीय वनाधिकारी से मिलने की बात पर ग्रामीण भड़क गए। ग्रामीणों ने कहा कि एक ओर गरीब जनता सड़क की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर डटी है, वहीं लोनिवि के अभियंता उन्हें वन विभाग के अधिकारियों से मिलने को कह रहे हैं। गरीब जनता के पास इतना पैंसा नहीं है कि वे अधिकारियों के चक्कर लगाएं। ग्रामीणों ने सहायक अभियंता को जमकर खरी-खोटी सुनाई।
लोनिवि के सहायक अभियंता संजय सैनी ने बताया कि बधाणी ताल से भुनाल गांव भेडारू तक नौ किलोमीटर मोटरमार्ग निर्माण की कार्यवाही वर्ष 2021 से विधिवत चल रही है। मोटरमार्ग के आठ किमी में वन भूमि व एक किमी में सिविल भूमि है। मार्ग निर्माण में करीब 1271 बांज, बुरांश सहित अन्य पेड़ों की बलि चढ़नी है। एनजीटी और वन विभाग के नियमों के तहत जितने क्षेत्रफल में मार्ग कटिंग का कार्य होना है, उतनी ही जमीन पर पेड़ों का रोपण भी किया जाना है। जिसको लेकर जमीन की तलाश की जा रही है। इसके लिए वन विभाग, राजस्व व लोनिवि के अभियंता निरीक्षण कर चुके हैं, मगर चार बार के निरीक्षण के बाद भी जमीन उपलब्ध नहीं हो पा रही है। ऐसे में मोटरमार्ग निर्माण में देरी हो रही है।
मोटरमार्ग निर्माण की मांग को लेकर आमरण अनशन पर बैठे तीनों ग्रामीणों की उम्र 80 साल के करीब है, जिनको स्वास्थ्य की भी दिक्कतें हैं। अनशन पर बैठे ग्रामीणों का सुगर लेवल बढ़ गया है, जिस कारण ग्रामीण चिंतित नजर आ रहे हैं। ज्येष्ठ प्रमुख नवीन सेमवाल ने कहा कि आमरण अनशन पर बैठे ग्रामीणों की उम्र काफी ज्यादा है। इन्हें स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी हैं, लेकिन अपने बच्चों के भविष्य के लिए बुजुर्ग ग्रामीण आंदोलन कर रहे हैं। इसके बाजवूद भी सरकार और शासन-प्रशासन सोया हुआ है।
आंदोलन को विभिन्न सामाजिक संगठनों एवं विपक्षी दलों का भी समर्थन मिल रहा है। भरदार जागरूकता मंच के अध्यक्ष एलपी डिमरी ने अनशन स्थल पर कहा कि पूर्वी और पश्चिमी बांगर की यह मांग न केवल जायज है, बल्कि तीन दशकों से लंबित विकास का सवाल है। अब समय आ गया है कि क्षेत्र के राजनेता, सामाजिक संगठन और जनप्रतिनिधि दलगत राजनीति को किनारे रखकर एकजुट हों। यह आंदोलन किसी एक दल या व्यक्ति का नहीं, बल्कि पूरे बांगर क्षेत्र की अस्मिता और भविष्य का संघर्ष है। एक मंच, एक आवाज और एक लक्ष्य यही इस मांग को हकीकत बनाएगा। भरदार जागरूकता मंच के महासचिव भगत चौहान एवं कांग्रेस वरिष्ठ नेता वीरेन्द्र बुटोला ने अनशन स्थल पर उपस्थित ग्रामीणों को संबोधित करते हुए कहा कि पूर्वी-पश्चिमी बांगर के लोगों का यह संघर्ष अवश्य सफल होगा। इसके लिए जरूरी है कि हम लोकतांत्रिक ढंग से डटकर खड़े रहें। सत्ताधारी ताकतें आंदोलन को कुचलने के लिए हरसंभव हथकंडे अपनाएंगी, लेकिन हमें हर कीमत पर अपनी जायज मांग पर अडिग रहना है। यह लड़ाई सिर्फ 9 किलोमीटर सड़क की नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के सम्मान और विकास की है।



