Uttarakhand

पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव का हर्षोल्लास के साथ किया जा रहा आयोजन

देहरादून,। पंचकल्याणक समिति-31, पुष्प वर्षा योग समिति एवं सकल दिगंबर जैन समाज के तत्वावधान में श्री मज्जिनेन्द्र आदिनाथ जिनबिम्ब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव का आयोजन बड़े ही भव्य एवं हर्षोल्लासपूर्ण वातावरण में श्री दिगंबर जैन पंचायती मंदिर एवं जैन भवन देहरादून में किया जा रहा है। यह दिव्य उत्सव परम पूज्य पुष्पगिरि तीर्थ प्रणेता गणाचार्य श्री 108 पुष्पदंतसागर जी महामुनिराज के आशीर्वाद तथा परम पूज्य संस्कार प्रणेता, ज्ञानयोगी, जीवन आशा हॉस्पिटल प्रेरणा स्तोत्र आचार्य श्री 108 सौरभ सागर जी महामुनिराज के सानिध्य में संपन्न हो रहा है।
तप कल्याणक के मुख्य संयोजक संदीप जैन ने बताया कि आज तप कल्याणक के अवसर पर विभिन्न आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, जिनमें प्रमुख रूप से जिनाभिषेक एवं नित्यर्चन, जिनेंद्र महार्चना (विधान), मंत्र ध्वनि, ज्ञानयोगी आदि कुमार विवाह, राजा नाभिराय दरबार, आदि कुमार राज्याभिषेक, षट्कर्म उपदेश, न्याय उपदेश, वैराग्य दर्शन, तीर्थंकर दीक्षा विधि वैराग्य उद्बोधन, अंकन्यास आयोजित किए गए। तप कल्याणक पूजा एवं हवन-आरती महोत्सव शास्त्रसभा रात्रि 8 बजे भव्य भजन संध्या सुप्रसिद्ध जैन भजन गायक दीपक रूपक जैन (दिल्ली) द्वारा दी गई।  भजन संध्या में आकर्षक प्रस्तुतियों ने श्रद्धालुओं का मन मोह लिया और अत्यधिक सराहना प्राप्त की। ज्ञानयोगी आचार्य श्री 108 सौरभ सागर जी महामुनिराज के सान्निध्य में मंगल प्रवचन आयोजित हुए। अपने आशीर्वचन में आचार्य श्री ने कहा “श्रद्धा है तो भगवान हैं; श्रद्धा नहीं तो वह केवल मूर्ति है। जब हमारी श्रद्धा उसमें प्रविष्ट होती है, तभी वह भगवान बन जाते हैं।” जैन भवन में चातुर्मास के दौरान विशिष्ट योगदान देने वाले अनेक सेवाधर्मियों का सम्मान किया गया। आज के भोजन के पुण्यर्जक जैन मिलन पारस परिवार रहे। स्थानीय श्रद्धालुओं के साथ-साथ विभिन्न स्थानों से भी बड़ी संख्या में भक्तगण पहुंचकर धर्मलाभ ले रहे हैं। मीडिया कोऑर्डिनेटर मधु जैन ने बताया कि 2 नवंबर को केवलज्ञान कल्याणक के अंतर्गत जो कार्यक्रम आयोजित होंगे उनमें जिनाभिषेक एवं नित्यार्चन, मंगल आशीर्वचन आचार्य श्री 108 सौरभ सागर जी महामुनिराज
तीर्थंकर महामुनि आहार चर्या, पंचाश्चर्य दृश्य, केवलज्ञान संस्कार क्रिया, अधिवासना, मुखोद्घाटन, नयनोन्मीलन, सूरिमंत्र, गुणानुरोपण, पट्टोद्घाटन
केवलज्ञान कल्याणक पूजा एवं हवन शामिल हैं। शास्त्रसभा एवं “महासती अंजना” नाटिका प्रस्तुत की जाएगी।

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