Uttarakhand

आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित ज्योतिर्मठ की दीवारों में आई गहरी दरारें

देहरादून। ऐतिहासिक, पौराणिक, धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण जोशीमठ में आदि शंकराचार्य द्वारा आठवीं सदी में स्थापित ज्योतिर्मठ को अन्यत्र शिफ्ट किया जा सकता है। भूधंसाव के कारण ज्योतिर्मठ की दीवारों में दरारें आई हैं, जो हाल के दिनों में चौड़ी हुई हैं। जोशीमठ में भूधंसाव के कारणों की जांच में जुटे विज्ञानियों के साथ ही शासन-प्रशासन मठ की निरंतर मानीटरिंग कर रहे हैं।

सचिव आपदा प्रबंधन डा. रंजीत कुमार सिन्हा के अनुसार यदि मठ को अन्यत्र शिफ्ट करने की स्थिति आई तो तीर्थ पुरोहितों व हक-हकूकधारियों की सहमति से ही कोई निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि मठ परिसर में स्थित मंदिर अभी पूरी तरह से सुरक्षित है। देश के चारधामों में से एक बदरीनाथ का मुख्य पड़ाव जोशीमठ शहर भूधंसाव और भवनों में दरारें पडृने के कारण कराह रहा है। शहर के सुनील वार्ड से लेकर एटीनाला व अलकनंदा नदी के तट तक के क्षेत्र को आपदाग्रस्त घोषित किया गया है।

इसी क्षेत्र में स्थित ज्योतिर्मठ की दीवारों में भूधंसाव के कारण दरारें आई हैं। सचिव आपदा प्रबंधन डा. सिन्हा ने माना कि ज्योतिर्मठ की दीवारों में दरारों में वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि मठ की निरंतर मानीटरिंग की जा रही है।

महत्वपूर्ण है ज्योतिर्मठ

  • ऐतिहासिक तौर पर ज्योतिर्मठ उस कालखंड में वैदिक शिक्षा एवं ज्ञान का महत्वपूर्ण केंद्र रहा है।
  • इसकी स्थापना आठवीं सदी में स्वयं आदि शंकराचार्य ने की थी।
  • इसके बाद ही उन्होंने चिकमंगलूर (कर्नाटक) में शृंगेरी मठ, जगन्नाथपुरी (ओडिशा) में गोवर्धन मठ और द्वारका (गुजरात) में शारदा मठ की स्थापना की थी।
  • प्रथम मठ ज्योतिर्मठ का महावाक्य ‘अयमात्मा ब्रह्म’ है।
  • इस मठ के तहत दीक्षा लेने वाले संन्यासियों के नाम के बाद ‘गिरि’, ‘पर्वत’ और ‘सागर’ विशेषण लगता है।
  • मठ के अंतर्गत अथर्ववेद को रखा गया है।
  • ज्योतिर्मठ के पहले शंकराचार्य आचार्य तोटकाचार्य थे।
  • मूल मठ पहाड़ी के ऊपर है।
  • यहीं कल्पवृक्ष के एक ओर ज्योतेश्वर महादेव मंदिर है।
  • कहा जाता है कि ज्ञान प्राप्ति के बाद आदि शंकराचार्य ने यहां एक प्राचीन स्वयंभू शिवलिंग की पूजा की थी।
  • यहां के गर्भगृह में पीढिय़ों से एक दीया प्रज्ज्वलित है।

सुनील वार्ड में पशुओं के लिए प्री फ्रेब्रिकेटेड काउ शेड बनकर तैयार
भूधंसाव से आवासीय भवनों के साथ प्रभावित परिवारों की गोशालाएं भी खतरे की जद में आई हैं। प्रशासन प्रभावितों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट करने के साथ ही लोगों के पशुओं के लिए गोशाला का इंतजाम करने में जुटा है। इसी के तहत जोशीमठ नगर पालिका के अंतर्गत सुनील वार्ड में पशुओं के लिए करीब 24 मीटर लंबा और सात मीटर चौड़ा प्री फ्रेब्रिकेटेड काउ शेड बनकर तैयार हो गया है।

जिन पशुपालकों की गोशाला क्षतिग्रस्त हुई है उनके पशुओं को इस सुरक्षित प्री फ्रेब्रिकेटेड काउ शेड में रखा जाएगा। वहींए पशुपालकों ने प्रशासन से पशुओं के लिए प्रति पशुपालक के हिसाब से अलग-अलग प्री फ्रेब्रिकेटेड शेड बनाने की मांग की है। उनका कहना है कि एक ही प्री फ्रेब्रिकेटेड काउ शेड में एक साथ इतने मवेशियां को रखे जाने पर पशुओं में आपसी संघर्ष की संभावना है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button