बाबा रामदेव ने कहा- एक लाख साधकों के लिए बसाएंगे नगर
चौखुटिया (अल्मोड़ा)। कुमाऊँ के अल्मोड़ा पहुंचे योग गुरु स्वामी रामदेव ने कहा है वह जल्द ही एक लाख साधकों के रहने के लिए नगर बसाने की योजना बना रहे हैं। उनके जीवन का हर क्षण, उनका रोम-रोम और पूरी संपत्ति राष्ट्र की संपत्ति है। वह हर भारतीय के जीवन को वैभवशाली बनाना चाहते हैं।
बाखली खेल मैदान में आयोजित पतंजलि योग पीठ के प्रांतीय महिला सम्मेलन में स्वामी रामदेव ने कहा कि पहाड़ के जल, जंगल जमीन और जवानी को संवारने की दिशा में काम शुरू किया जा रहा है। मडुवा और बिच्छूघास से लेकर गोमूत्र तक को खरीदने का बीड़ा उठाया गया है।
उन्होंने कहा कि योग रूपी परम धर्म, सेवा धर्म, मानव धर्म और राष्ट्र धर्म की पताका फहराते हुए सनातन धर्म के गौरव को वैश्विक प्रतिष्ठा दिलाने का समय आ गया है। रामदेव ने अनुलोम, विलोम और कपालभाति आदि योग कराकर निरोग रहने के टिप्स दिए। कार्यक्रम को केंद्रीय महिला प्रभारी साध्वी देवप्रिया, भारतीय शिक्षा बोर्ड पतंजलि के चेयरमैन एमपी सिंह, मुख्य केंद्रीय प्रभारी राकेश मित्तल आदि ने भी संबोधित किया। संचालन लीला जोशी और सीमा जौहर ने किया।
‘सांसारिक जिम्मेदारियां पूरी कर लेने वाले पुरुषार्थ में जुटें’
स्वामी रामदेव तीन घंटे तक लोगों को हंसाते रहे। उन्होंने जोर देकर कहा कि जिन महिलाओं ने सांसारिक जिम्मेदारियां पूरी कर लीं हैं वे घर से बाहर निकलें और पुरुषार्थ में जुटें।
उन्होंने कहा कि जिन युवाओं की शादी अब तक नहीं हुई है, भगवान चाहे तो उनकी शादी न होने पाए जिससे वे पतंजलि में आकर पूर्णकालिक सेवक बन जाएं। यह भी कहा कि 55 साल से ऊपर के लोग ब्रह्मचर्य अपनाकर पतंजलि के कार्यक्रम को आगे बढ़ाने में मदद करें।
महिला समिति ने सौंपा पांच लाख का चेक
पतंजलि महिला शाखा की राज्य प्रभारी सीमा जौहर ने स्वामी रामदेव को महिला समिति की ओर से पांच लाख का चेक भेंट किया। सीमा जौहर ने बताया कि जनवरी से अब तक महिलाओं ने 23 लाख रुपये का दान एकत्रित किया है। प्रदेश की पांच हजार महिलाएं सक्रियता से सेवा दे रहीं हैं।
ये भी बोले योग गुरु
– ऋषि मुनियों की परंपरा को अंगीकार करने, स्वदेशी पर जोर देने और वैदिक ज्ञान के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है।
-देवभूमि साधना के लिए विश्व में सर्वश्रेष्ठ है। पहाड़ों में सुख सुविधाओं की कमी हो सकती है मगर जीवन का असल आनंद पहाड़ की वादियों में ही है।
-वह कई जगह जाते हैं मगर असल आनंद उत्तराखंड में ही आता है।