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वरिष्ठ राज्य आन्दोलनकारी भावना पांडे ने उत्तराखण्ड के नेताओं पर कसा तंज, कही ये बात

देहरादून। उत्तराखंड की बेटी, वरिष्ठ राज्य आन्दोलनकारी, प्रसिद्ध जनसेवी एवं जनता कैबिनेट पार्टी (जेसीपी) की केन्द्रीय अध्यक्ष भावना पांडे ने उत्तराखण्ड के मौजूदा हालातों पर अपने विचार प्रकट करते हुए राज्य के नेताओं पर तंज कसा है।

प्रदेश के नेताओं पर तीखा वार करते हुए देवभूमि की बेटी भावना पांडे ने कहा कि मौजूदा समय में उत्तराखंड की राजनीति का स्तर काफी गिर चुका है। उन्होंने कहा कि ये इस राज्य का दुर्भाग्य रहा है कि जबसे प्रदेश का गठन हुआ है तब से लेकर आजतक प्रदेश का प्रत्येक नेता मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल है। राज्य का हर नेता मुख्यमंत्री बनना चाहता है।

वरिष्ठ राज्य आन्दोलनकारी भावना पांडे ने कहा कि सिर्फ कैबिनेट मंत्री बनने से राज्य के नेताओं को संतोष नहीं है। आलम ये है कि 70 की उम्र पार कर चुके राज्य के नेता भी मुख्यमंत्री बनने के ख्वाब देखते हुए नजर आते हैं। प्रदेश भाजपा का लगभग हर बड़ा नेता सीएम पद की होड़ में दिल्ली की दौड़ लगाता हुआ दिखाई देता है।

उत्तराखण्ड की बेटी भावना पांडे ने कहा कि आज प्रदेश की हालत बेहद दयनीय है। राज्य के नेताओं ने इस प्रदेश की सूरत बिगाड़ने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी है। पिछले 22 वर्षों से उत्तराखंड में राज करने वाली भाजपा और कांग्रेस पार्टियों ने प्रदेश हित में कोई ठोस कदम नहीं उठाए।

जेसीपी अध्यक्ष भावना पांडे ने कहा कि उत्तराखंड की सियासत में गुटबाजी हावी है। राज्य के सभी राजनीतिक दलों में गुटबाजी हावी है। इस गुटबाजी का असर राज्य के मुख्यमंत्री पर भी दिखाई पड़ता है परिणामस्वरूप सीएम भी राज्य हित में खुलकर कार्य नहीं कर पाते। उन्हें भी अपनी कुर्सी जाने का भय बना रहता है, ऐसे में मुख्यमंत्री भी बड़े नेताओं को खुश करने में लगे हुए नजर आते हैं। नेता-मंत्रियों की इस रस्साकशी का लाभ अधिकारियों को होता है और वे रातों-रात मालामाल हो जाते हैं।

भावना पांडे ने कहा कि ये उत्तराखंड का दुर्भाग्य है कि आज प्रदेश में भ्रष्ट नेताओं का ही बोलबाला है। निर्दलीय या विपक्षी दल के विजयी प्रत्याशी भी दल बदलकर सत्ताधारी पार्टी में शामिल होना चाहते हैं, सभी को किसी न किसी तरह बस मंत्री बनना है। नेताओं की इस दलबदलू प्रवृत्ति का असर राज्य की उस मासूम जनता पर पड़ता है, जो वोट देकर इन नेताओं को विजय बनाती है। नेताओ के दल बदलने पर वोटर खुद को ठगा महसूस करता है।

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