Uttarakhand

प्रकृति ने बदला छेनागाड़ का भूगोल

रुद्रप्रयाग,। बसुकेदार के निकट स्थित छेनागाड़ बाजार आपदा की भेंट चढ़ चुका है। इस स्थान पर आठ से दस लोगों के लापता होने की आंशका है। छेनागाड़ का अस्तित्व पूरी तरह समाप्त हो गया है। रात के समय छेनागाड़ में मौजूद बस के भीतर सो रहे चालक और परिचालक ने किसी तरह से अपनी जान बचाई।
शुक्रवार प्रात लगभग 4 बजे के करीब आकाशीय बिजली गिरने के बाद छेनागाड़ बाजार में स्थित सभी 18 दुकानें देखते ही देखते आपदा की भेंट चढ़ गई। एक अनुमान के मुताबिक भूस्खलन की चपेट में आने से 10-12 लोगों के लापता होने की आंशका हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार क्षेत्र में लगातार बरसात के कारण न केवल आम जनजीवन अस्त-व्यस्त है, बल्कि भूस्खलन और चट्टानों के खिसकने का सिलसिला इस कदर हावी है कि बड़ेथ गांव के कई तोकों में आकाशीय बिजली गिरने के बाद कई आवासीय भवन जमीदोज हो चुके हैं। साथ ही कई गौशालाएं भूस्खलन की जद में आने से कई दर्जन मवेशी भी जान गंवा चुके हैं। लापता लोगों की संख्या बढ़ भी सकती है। इन लोगों में स्थानीय लोगों के साथ-साथ नेपाली मूल के भी बताए जा रहे हैं। प्रशासन की ओर से एसडीआरएफ, एनडीआरएफ पुलिस बल तथा स्थानीय लोगों की मदद से लापता लोगों का लगातार रेस्क्यू अभियान चलाया जा रहा है। ताल जामण, बगड़ में कई मकान भूस्खलन की चपेट में आने से जमींदोज हो चुके हैं। गनीमत यह रही की रात्रि के अंधकार में चारों ओर से गिरती चट्टानों तथा गर्जना भर रही चंदन नदी के भयंकर स्वर के डर के कारण ग्रामीणों ने सुरक्षित स्थानों की ओर भागना शुरू कर दिया, जिस कारण सभी ग्रामीण सुरक्षित बताए जा रहे हैं। लेकिन गौशालाओं में रह रहे मवेशी इस भूस्खलन की तबाही की भेंट चढ़ चुके हैं। प्रातः स्थानीय लोगों की मदद से बगड़ व अन्य प्रभावित गांवों के पीड़ितों को प्राथमिक विद्यालय ताल जामण में राहत शिविर लगाकर उनको सुरक्षा स्थान प्रदान किया गया। देहरादून से छेनागाड़ डेली विश्वनाथ सेवा में रह रहे ड्राइवर और कंडक्टर भी मौत की आगोश में जाते-जाते बच गए। विश्वनाथ सेवा के चालक ने बताया कि सुबह 4ः00 बजे के करीब छेनागाड़ पुल के बगल में उनकी बस खड़ी थी, जिसमें दोनों सो चुके थे, लेकिन सुबह चंदन गंगा के भयंकर शोर और भारी मात्रा में मलबा आने के कारण उनकी बस के ऊपर चट्टान तथा पेड़ गिरने से उनकी नींद खुली और उन्होंने कंडक्टर को उठाकर पुल के दूसरी ओर सुरक्षित स्थानों की ओर चले गए जिस कारण वह बच निकले। पूर्व प्रधान मंगल सिंह ने बताया कि रात भर उक्त गांवों में भयंकर गर्जना के साथ आकाशीय बिजली गिरी जिसके फल स्वरुप नदी में भारी मात्रा में जल भराव और मलबा आने से संपूर्ण छेनागाड़ का बाजार नेस्तनाबूत हो गया। साथ ही ताल जामण और अन्य स्थानों पर चट्टान खिसकने से और नीचे नदी तट से भूस्खलन होने से इन गांव की तस्वीर बदल गयी है। उन्होंने बताया कि रात भर जोरदार आवाज के कारण ग्रामीण सो नहीं पाए और रात्रि भर जागरण कर सुरक्षित स्थानों की और कुच कर गए, जिस कारण आज उनका जीवन सुरक्षित बना हुआ है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button