Uttarakhand

अलविदा विरासतः महोत्सव के समापन पर कई हुए भावुक….. तो कई की नम हुई आंखें…..

देहरादून,। भारतीय शास्त्रीय संगीत की कई विश्व विख्यात नामी और शाही कलाकारों की अद्भुत एवं शानदार प्रस्तुतियों से 15 दिन का विरासत महोत्सव का सफ़र यादगार लम्हों में कैद हो गया है प् प्रत्येक वर्ष निरंतर यहां ओएनजीसी के डॉ.अंबेडकर स्टेडियम में रीच संस्था द्वारा आयोजित किए जाने वाले विरासत महोत्सव के आज तीन दशक का समय शानदार एवं शाही अंदाज में पूर्ण हो चुका है। इस वर्ष भी देश-विदेश की नामी एवं शाही भारतीय शास्त्रीय संगीत की दुनिया में अपना और भारत का नाम ऊंचा रखने वाली कलाकार हस्तियों ने अपनी भव्य एवं आकर्षक प्रस्तुतियां देकर विरासत में चार-चांद लगाने का काम किया प् इस वर्ष के महोत्सव के अंतिम दिन मुख्य बात यह रही कि विरासत महोत्सव के इस अलविदा सेरेमनी पर जहां कई की आंखें नम हुई, तो वहीं कई मेहमान शाही विरासत के अलविदा होने पर भावुक होते हुए भी नजर आए प् विरासत महोत्सव में आज शनिवार को जहां धनतेरस की महफिल विरासत के मेहमानों से गुलजार रही तो वही दीपावली के लिए जमकर खरीदारी भी की गई प्शनिवार को अंतिम दिन विरासत महोत्सव पूरी तरह से गुल-गुलजार हुआ दिखाई दिया। इस शाही महफिल में क्लोजिंग सेरेमनी अवसर पर जहां मशहूर कथक नृत्यांगना नयनिका घोष ने अपने कथक रागों के नृत्य से विरासत की महफिल को सजा डाला, कथक नृत्यांगना नयनिका घोष के साथ तबले पर शुभ महाराज ने बहुत ही शानदार संगत दी। जबकि स्वर जकी अहमद का, सितार पर लावण्य कुमार तथा
पधंत पर मंयक भट्टाचार्य का साथ रहा। वहीं मशहूर गायक और सांसद मनोज तिवारी के गीतों से विरासत के हजारों मेहमान झूम उठे और उन्होंने पूरा जश्न विरासत महोत्सव के अंतिम दिन यहां रहकर मनाया। कथक नृत्यांगना, शिक्षिका और कोरियोग्राफर नयनिका घोष जो अपनी विशिष्ट शैली और भारतीय शास्त्रीय नृत्य के प्रति गहरे जुनून के लिए जानी जाती हैं, उन्होंने पाँच वर्ष की आयु में रानी कर्ण, पंडित विजय शंकर और पंडित चित्रेश दास जैसे प्रख्यात गुरुओं के मार्गदर्शन में और बाद में महान पंडित बिरजू महाराज के मार्गदर्शन में कथक में अपनी यात्रा शुरू की। समकालीन, जैज़ और बैले शैलियों के उनके अन्वेषण में उनकी कलात्मक बहुमुखी प्रतिभा स्पष्ट है। शैक्षणिक रूप से नयनिका ने कलकत्ता विश्वविद्यालय से साहित्य में और रवींद्र भारती विश्वविद्यालय से नृत्य में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की है, और वर्तमान में पीएचडी कर रही हैं। उन्हें कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। एक कलाकार के रूप में उन्होंने भारत के कई प्रमुख समारोहों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व किया है। उनके नृत्य निर्देशन प्रयासों में पारंपरिक और समकालीन शैलियों का मिश्रण है। नयनिका घोष निनाद फाउंडेशन की संस्थापक-निदेशक हैं, जिसका उद्देश्य भारतीय शास्त्रीय नृत्य और संगीत का पोषण और प्रचार करना है। इसके केंद्र कोलकाता और गुड़गांव में हैं।
विरासत महोत्सव की शाही शाम में आज अंतिम दिन मशहूर अभिनेता,भोजपुरी गायक, राजनीतिज्ञ और सांसद मनोज तिवारी के गीतों ने विरासत की महफ़िल सजा डाली। मशहूर भोजपुरी गायक, अभिनेता, राजनेता व सांसद मनोज तिवारी के गीत और सुर की संध्या संगत में कुल नौ प्रतिभाशाली कलाकारों ने भाग लिया, जिनमें गायक और संगतकार शामिल रहे, उन्होंने एक जीवंत औभीर मधुर प्रस्तुति दी। गायकों में मनोज तिवारी मृदुल के साथ दिवेंद्र महाराज व सृष्टि सिन्हा का बहुत ही खूबसूरत साथ रहा प् जबकि संगतकारों में तबले पर दीपक सिंह, ढोलक पर मोती लाल शर्मा, बैंजो पर शंकर वर्मा, कीबोर्ड पर किशोर वत्स, ऑक्टापैड पर दीपक पाराशर तथा तालवाद्य/प्रकाशन पर प्रभुनाथ राय दारी रहे प् मनोज तिवारी ने अपनी प्रस्तुति की शुरुआत एक भक्ति वंदना से किया “निमिया की डाली मैया झूली झूली न“ उसके बाद “ए राजा जी ए करे त रहलबा जरूरी महूरत खूबसूरत हो“ गाया।
मनोज तिवारी मनोरंजन उद्योग और भारतीय राजनीति दोनों में एक लोकप्रिय व्यक्तित्व हैं, जिन्हें एक गायक, अभिनेता और राजनीतिज्ञ के रूप में उनके बहुमुखी योगदान के लिए जाना जाता है। उन्होंने शुरुआत में अपने भोजपुरी संगीत के माध्यम से व्यापक पहचान हासिल की। संगीत में उनकी सफलता ने उनके अभिनय करियर का मार्ग प्रशस्त किया, जहाँ उन्होंने कई भोजपुरी फिल्मों में अभिनय किया और भोजपुरी फिल्म उद्योग के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। मनोरंजन के लिए एक स्वाभाविक स्वभाव के साथ तिवारी के प्रदर्शन ने दर्शकों के साथ गहराई से प्रतिध्वनित किया, जिससे भारतीय संस्कृति के क्षेत्र में एक स्थायी प्रभाव पड़ा। विशेष रूप से उत्तरी भारत में जहाँ उनके गीत और फिल्में एक सांस्कृतिक घटना बन गईं। मनोरंजन से राजनीति में कदम रखते हुए मनोज तिवारी ने संसद सदस्य के रूप में भी काम किया है और वर्तमान में वे लोकसभा के संसद सदस्य भी हैं।

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